अर्ज़ है: इतने खुद्दार थे हम कि कभी स्कूल ना जाते थे ग़ालिब; वो तो लड़कियों के शौक-ए-दीदार ने हमें बैचलर बना दिया।
ये लड़कियाँ स्कूल तथा कॉलेज लाइफ में कितना भी चिट्टियां कलाइयाँ सुन लें, इनको आखिर में नाचना . . . . . . "पलो लटके जरा सो पलो लटके" पर ही है।
मैडम: आज स्कूल देर से आने का तुमने क्या बहाना सोचा है? पप्पू: सॉरी मैडम! आज मैं इतनी तेज दौड़कर आया हूं कि बहाना सोचने का मौका ही नहीं मिला!
अध्यापक: कल स्कूल क्यों नहीं आए? पप्पू: सर मुझे बर्ड फ्लू हो गया था! अध्यापक: बर्ड फ्लू तो मुर्गियों को होता है! पप्पू:आप हर रोज़ मुझे मुर्गा जो बनाते थे!
स्कूल में दाखिले (ADMISSION) के समय अध्यापिका ने पप्पू से पूछा, "बेटा आपके पापा क्या करते हैं?" पप्पू मासूमियत से बोला, "जो मम्मी बोलती है।"
पप्पू अपनी गर्लफ्रेंड को लेकर पिज़्ज़ा हट में गया। पप्पू: क्या लोगी? गर्लफ्रेंड: कढ़ी चावल मंगवा लो। वेटर हँसते हुए बोला, "सरकारी (Govt.) स्कूल की लड़कियां पटाओगे तो ऐसा ही होगा।"