बंता: ओये तू ऑफिस में तो बड़ा शेर बना फिरता है। घर में तुझे क्या हो जाता? . . . . . . संता: यार होता तो घर में भी शेर ही हूँ। बस घर में मुझ पे दुर्गा जी सवार हो जाती हैं।
बंता: ये औरतें शराब से इतनी नफ़रत क्यों करती हैं? संता: क्योंकि, इसको पीने के बाद उनके चूहे जैसे पति शेरों जैसे बरताव करने लगते हैं।
संता गुरूद्वारे के लंगर में जाकर बोला। "भाई साहिब, मेरे को चार पर्शदे दे दो।" भाई साहिब: संता जी, आप सब्जी भी ले जाओ। संता: नहीं भाई साहिब, उसकी कोई जरूरत नहीं। घर में मीट बना है।
संता: मेरे घर लड़की हुई है। बंता: बहुत खुशी की बात है, लेकिन जब वो बड़ी होगी तब सारे लड़के उसे छेड़ेंगे। संता: इसका भी उपाय कर लिया है मैने। बंता: क्या? संता: मैने उसका नाम 'दीदी' रख दिया है।
संता ने पान खरीद कर जीतो को खाने के लिए दे दिया। जीतो: आपने अपने लिए क्यों नहीं लिया? संता: मैं इसके बिना भी खामोश रह सकता हूँ।
जीतो: मैंने तुम्हें बिना देखे शादी की, क्या तुम इस पर विश्वास करते हो? संता: और मेरी हिम्मत तो देखो, मैंने तुम्हें देखने के बाद भी तुमसे शादी की?