संता (पप्पू से बोला): पप्पू, एक अच्छा शीशा लेकर आओ जिसमें मेरा चेहरा दिखाई दे। पप्पू: पापा! अभी-अभी मैं सब दुकानों पर देखकर आया, सबमें मेरा चेहरा ही दिख रहा था।
संता: अरे पप्पू बेटा क्या हुआ? आज तुम तराजू और बाट लेकर स्कूल क्यों जा रहे हो? पप्पू: पापा, कल सर ने हमें सिखाया था कि हमें हर बात को नाप-तौल कर बोलना चाहिए। इसीलिए।
संता: बेटा, अमेरिका मे 15 साल के बच्चे भी अपने पैरों पे खड़े हो जाते हैं। पप्पू: लेकिन पापा भारत मे तो दो साल का बच्चा भागने भी लगता है।
पप्पू अपने पिता संता से: क्या बताऊ पापा, सामने वाले मकान मे एक लड़की हर रोज़ खिड़की में से रुमाल हिलाती है पर खिड़की का शीशा कभी नही खोलती। संता: बहको मत बेटे, वह तुझे देख कर रुमाल नही हिलाती। दरअसल वह इस मकान की नौकरानी है जो रोज़ खिड़की के शीशे साफ करती है।
पप्पू अपने पिता संता से: पापा मुझे मोटरसाइकिल लेकर दो। संता: भगवान जी ने दो टांगें किस लिए दी हैं? पप्पू: एक टांग किक मारने के लिए और दूसरी गियर डालने के लिए।
पप्पू: पापा, आप इंजीनियर कैसे बने? संता: उसके लिए बहुत दिमाग की जरुरत पड़ती है। पप्पू: इसीलिए तो पूछ रहा हूँ क्योंकि मुझे समझ नहीं आ रहा है कि आप कैसे इंजीनियर बने?