पप्पू अपने पिता संता से: क्या बताऊ पापा, सामने वाले मकान मे एक लड़की हर रोज़ खिड़की में से रुमाल हिलाती है पर खिड़की का शीशा कभी नही खोलती। संता: बहको मत बेटे, वह तुझे देख कर रुमाल नही हिलाती। दरअसल वह इस मकान की नौकरानी है जो रोज़ खिड़की के शीशे साफ करती है।
संता : सुनती हो, मेरी माँ आई है। जीतो: तो कौनसी नयी बात हैं उनका तो रोज़ का ही काम है, अब क्यों आयी हैं? संता : अरे माँ पांच किलो प्याज भी लायी है। जीतो: आप भी ना पहले बोलना था ना माँ जी आयी है, बड़ी मुश्किल से तो बड़ों का प्यार और आशीर्वाद नसीब होता है।
संता और जीतो की लडाई हो गई। आधा दिन चुपचाप गुजारने के बाद जीतो, संता के पास आई और बोली, "इस तरह झगड़ते अच्छे नही लगते। एक काम करते हैं, थोडा आप समझौता करो थोडा मैं करती हूँ।" संता: ठीक है। क्या करना है? जीतो: आप मुझसे माफी माँग लो और मैं आपको माफ कर देती हूँ।
संता: बैठ कर अपनी मेहबुबा की जुल्फों के सायें में ऐसा जोश आया! बंता: वाह वाह, फिर? संता: उसके पापा ने देख लिया और "आई.सी.यूं." में होश आया!
जज (संता से): पिछली बार भी तुम 500 रूपये चुराने के आरोप में पकड़े गए थे! संता: जज साहब, 500 रुपये से कितने दिन काम चलेगा!
संता ने जीतो को शादी से पहले बोला, "अगर तू मेरी न हुई तो मैं तुझे किसी की नहीं होने दूंगा!" जीतो झट से बोली, "लो अब आपकी हो गयी, अब सबकी होने दोगे?"