संता अपने 'कुत्ते' के साथ 'शतरंज' (चेस) खेल रहा था! बंता: अरे वाह! तेरा कुत्ता तो बहुत समझदार है! संता: क्या ख़ाक समझदार है, 5 में से 3 बार तो मैं ही जीता हूँ!
संता (गुस्से में): तुमने कभी 'उल्लू' देखा है? पप्पू (सर खुजा कर): नहीं पापा! संता: नीचे क्या देख रहे हो, मुझे देखो!
भिखारी: क्या बात है साहब, पहले आप सौ रुपये देते थे, बाद में पचास, फिर पच्चीस, अब सिर्फ दस देते हैं? संता: पहले मैं कुंवारा था, तो मैं सौ देता था! फिर मेरी शादी हो गयी, तो पचास; एक बच्चा हो गया तो पच्चीस; अब दो बच्चे हैं तो दस देता हूं! भिखरी: वाह साहब, आपके पूरे परिवार का खर्चा तो मेरे पैसों से चल रहा है!
संता अपने ससुराल में गुरुजी का पर्वचन सुनने गया! गुरुजी बोले, "जो-जो स्वर्ग जाना चाहता है, वह अपना हाथ ऊपर करे"! संता की बीवी और सास ने हाथ ऊपर उठाया! गुरूजी ने संता से पूछा, "क्या तुम स्वर्ग नहीं जाना चाहते?" संता: गुरुजी, यह दोनों चली जायेंगी तो यही पर स्वर्ग हो जायेगा!
संता: तुमसे शादी करके मुझे एक बहुत बड़ा 'फायदा' हुआ है! जीतो: वो क्या? संता: मुझे मेरे गुनाहों की 'सज़ा' जीते जी मिल रही है!