मुझे इतना भी मत घुमा ऐ ज़िन्दगी, मैं शहर का शायर हूँ, MRF का टायर नहीं! — ऐ खुद, हिचकियों में कुछ तो फर्क डाला होता अब कैसे पता करूँ कि कौनसी वाली याद कर रही है..