जीतो: मुझे सोने का हार दिलवा दो, मैं तुम्हें सात जनम तक चाहूंगी! संता: हार के साथ कंगन भी दिलवा दूंगा, पर बात इसी जनम तक रहने दो!
डॉक्टर: आपकी बिमारी का कारण नहीं मिल रहा, शायद पीने से ऐसा हो रहा होगा। संता: कोई बात नहीं। मुझे जल्दी नहीं, जब आपकी उतर जायेगी तब दोबारा आ जाऊंगा।
जीतो: आज कोई ऐसी बात कहो कि मैं खुश भी हो जाऊ और नाराज़ भी हो जाऊ। संता: तुम मेरी जिंदगी हो, और मुझे लानत है, ऐसी जिंदगी पर।
संता डॉक्टर से: मेरी पत्नी की याददाश्त निहायत वाहियात है। डॉक्टर: हर बात भूल जाती है क्या? संता: नहीं जी, हर बात याद रखती है।
संता: पता नही कैसा ज़माना आ गया है। ढूंडने पर भी कोई आदमी नहीं मिलता जो झूठ न बोलता हो। बंता: लेकिन मै एक ऐसे आदमी को जानता हूं जो कभी झूठ नहीं बोलता। संता: अच्छा उस नेक आदमी से मेरी बात कराओ। बंता: यह सभंव नही क्योंकि वह गूंगा है।
गुंडा – चल “हफ्ता” निकाल एडमिन -“कैलेंडर फाड़ते हुए” ले भाई पूरा “महीना” ही रख ले हमारे एडमिन साहब की तो बात ही कुछ और है !!!