पति ने अपनी पत्नी से कहा: पागलों के साथ रह-रह कर मैं आधा पागल तो हो ही गया हूं। उत्साहित होकर पत्नी बोली: कभी कोई काम पूरा भी कर लिया करो।
पति: जज साहब! मेरी पत्नी विवाह से ही मेरे ऊपर चीजें फेंक रही है। जज: विवाह को कितने दिन हो गए? पति: जी, सात साल। जज: तो तुम पहले क्यों नहीं आए? पति: क्योंकि आज पहली बार उसका निशाना ठीक लगा।
बेवक़ूफ़ बीवी अपने पति को ग़ुलाम बना कर रखती है और खुद ग़ुलाम की बीवी कहलाती है; और समझदार बीवी अपने पति को राजा बना कर रखती है और खुद उसकी रानी बनकर रहती है।
पत्नी ने पति को फ़ोन करके पूछा, "कहाँ हो तुम?" पति: तुम्हें वो ज्वेलरी की दुकान याद है, जहाँ तुमने एक हीरे का हार पसंद किया था और तब मेरे पास पैसे नहीं थे। पत्नी (खुश होते हुए): हाँ-हाँ मुझे याद है। पति: मैं बस उसके सामने वाले सैलून में बाल कटवा रहा हूँ।
प्रवचन सुनकर पत्नी जब घर लौटी तो पति से, "बाबा जी कह रहे थे कि रामराज्य में, शेर और बकरी एक ही घाट पर पानी पिया करते थे। ऐसा कैसे हो सकता है भला?" पति: हो क्यों नहीं सकता और वो तो अब भी हो रहा है, क्या मैं तुम्हारे साथ नहीं रहता?
पत्नी: सुनो जी, मेहमान आ रहे हैं और घर में दाल के सिवा कुछ नहीं है। पति: तुम चिंता मत करो। जब वो आयें तो रसोई में एक बर्तन गिराना, मैं पूछूं तो कहना 'कोरमा' गिर गया। फिर दूसरा बर्तन गिराना और कहना 'बिरयानी' गिर गयी। फिर मैं कहूँगा चलो 'दाल' ही ले आओ। मेहमानो के आने के बाद बर्तन गिरने की आवाज़ आई। पति: क्या हुआ? पत्नी: तेरी माँ दा सियापा हो गया, दाल ही गिर गयी।