शाम को पति के घर आते ही पत्नी ने किच-किच शुरू कर दी। पति: अरे यार, दिन भर का थका-हारा आया हूँ, पहले फ्रेश तो होने दो। पत्नी: मैं भी तो दिन भर अकेली थी, तो मैं भी फ्रेश हो रही हूँ।
पति: तुझमे रब दिखता है यारा मैं क्या करूँ? पत्नी: करना क्या है, हर रोज़ माथा टेक के हज़ार का नोट चढ़ा दिया करो।
पति नाराज़ होकर पत्नी से बात नहीं कर रहा था। पत्नी: अब मैं 10 तक गिनुगी, अगर तुम न बोले तो मैं ज़हर खा लूंगी। पत्नी: 1,2,3,4.... 8 पति खामोश पत्नी: 9.... पति फिर भी चुप.... पत्नी: बोलो न प्लीज....। पत्नी का रोना शुरू पति: गिनती गिन.... गिनती। पत्नी: शुक्र है, आप बोले तो नहीं तो मैं ज़हर खाने ही वाली थी।
पत्नी: क्यों जी, रोज़ सुबह मेरे चेहरे पे पानी क्यों डालते हो? पति: तेरे बाप ने कहा था मेरी बेटी फूल की तरह है, इसे मुरझाने मत देना।
ग़लतफ़हमी की तो इंतहा तो देखो: पत्नी, पति से नाराज़ होकर बात नहीं कर रही और सोच रही है कि... . . . . . . . . पति को 'सज़ा' दे रही है।
पत्नी अपने पति से गुस्से से बोलती है, तुम्हारे दिमाग में क्या गोबर ही भरा पड़ा है क्या? पति प्यार से जवाब देता है, तो भाग्यवान इतनी देर से चाट क्यों रही हो?