हसरत-ए-दीदार के लिये जब होइ हमारी तमन्ना; उसकी गली मे हमने मोबाईल की दुकान खोली; मत पूछो अब हालात-ए-बेबसी का, ऐ गालिब; के रोज़ एक नया शख्स उनके नम्बर पे रीचार्ज़ करवानें आता है।
अपने प्रिय पति द्वारा सभी पत्नियों को समर्पित, "सिलसिला" से मशहूर लाइनों का एक नया संस्करण। "मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं, तुम होती तो ऐसा होता, तुम होती तो वैसा होता, और तुम ना होती तो पैसा होता!"
जब कोई नया शादी-शुदा आदमी खुश होता है तो उसका कारण सबको पता होता है; पर जिस आदमी की शादी को 10 साल हो गए हों और वो खुश हो तो सब उसका कारण जानना चाहते हैं।