पति: काश मैं गणपति होता, तुम मेरी पूजा करती, लड्डू खिलाती। पत्नी: काश ऐसा होता, फिर हर साल विसर्जन के बाद मैं नए गणपति लाती।
पत्नी: काश मैं एक किताब होती तो कितना अच्छा होता! कम से कम आप मुझे हर समय पढ़ते रहते। पति: किताब नहीं, बल्कि जंत्री होती, तांकि हर साल मैं तुम्हे बदल तो सकता!
पति: जज साहब! मेरी पत्नी विवाह से ही मेरे ऊपर चीजें फेंक रही है। जज: विवाह को कितने दिन हो गए? पति: जी, सात साल। जज: तो तुम पहले क्यों नहीं आए? पति: क्योंकि आज पहली बार उसका निशाना ठीक लगा।
जब कोई नया शादी-शुदा आदमी खुश होता है तो उसका कारण सबको पता होता है; पर जिस आदमी की शादी को 10 साल हो गए हों और वो खुश हो तो सब उसका कारण जानना चाहते हैं।
कुम्भ मेले में साधुओं की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। अपने पतियों को परेशान मत कीजिये। उन्हें प्यार से संभालिये। ~नासिक महानगर पालिका
पति बेचारा साल के 365 दिन पत्नी का मुँह देख कर खाना खाता है, उसमें कोई बात नहीं। लेकिन पत्नी एक दिन पति का मुँह देखकर खाना खाये तो साला त्योहार बन जाता है।