रद्दी खरीदने वाला: साहब पुराने कपडे, पेपर, बर्तन हो तो दे दीजिये। संता:अभी जाओ मेम साहब नहीं हैं, मायके गयी हैं। रद्दी वाला (पूरे विश्वास से): तो फिर खाली बोतलें ही दे दीजिये।
जीतो मायके से वापस आयी तो संता दरवाजा खोलते हुए जोर-जोर से हँसने लगा। जीतो: ऐसे क्यों हँस रहे हो? संता: बुजुर्गों ने कहा है कि जब भी मुसीबत सामने आये उसका सामना हँसते हुये करो।
संता: पत्नी को बेगम क्यूं कहते है? बंता: क्यूंकि शादी के बाद सारे गम पति के और पत्नी तो बे-गम हो जाती है.
पंडीत जी हवन करते समय एक चम्मच घी आग में ङालते और एक चम्मच घी अपने ङिबबे मे ङालते जा रहे थे! पास बैठे अपने एडमिन साहब चिल्लाकर बोले, “घृतम चोरम, घृतम चोरम !” पंडीत जी एडमिन साहब को चुप कराते हुए बोले, “पुत्र ना कर शोरम, ना कर शोरम! आधा तोरम, आधा मोरम” ॐ स्वाह ॐ स्वाह ॐ स्वाह !!
जगजीत सिंह गा रहे थे: ये दौलत भी ले लो, ये शौहरत भी ले लो…… संता उठा: मैं तो बहुत परेशान हूँ, मेरी तो औरत भी ले लो.