केजरीवाल: बिस्कुट दो भाईसाहब दुकानदार: "गुड डे" दे दूँ क्या? केजरीवाल: "गुड डे" यानी अच्छे दिन, हट साले मोदी के एजेंट!
आप कितने ही अच्छे काम कर लें, लेकिन लोग उसे ही याद करते हैं... . . . . . . . . . . जो उधार लेकर मरा हो।
चीता: यार ये साले डिस्कवरी वालों ने भी परेशान कर रखा है। बंदर: क्यों, क्या हुआ भाई? चीता: साले दिन-रात कैमरे लगा कर बैठे रहते हैं, प्राइवेसी तो देते नहीं और फिर बोलते हैं "थोड़े ही बचे हैं"।