ये सावधान इंडिया व क्राइम पेट्रोल वाले औरतों को इतना कमीना दिखाते हैं, कि अब तो घरवाली के साथ सोने में भी फटती है कि... . . . . . . . . . पता नहीं कब निपटा दे।
प्राचीन काल में जो लोग अपनी नींद, भोजन, हंसी, परिवार और अन्य संसारिक सुखों को त्याग देते थे, उन्हें ऋषिमुनी कहा जाता था, कलयुग में उन्हें Online कहा जाता है।
रात में नींद ना आये, दिन में चैन ना आये; मैंने रब से पूछा क्या यही प्यार है? रब ने मुस्कुरा कर कहा, "नहीं बेटा, प्राइवेट जॉब वालों का ऐसा ही हाल है।"
ये जो नींद पूरी होने के बाद भी 3 घंटे तक बिस्तर पर मगरमच्छ की तरह पड़े रहते हो न... शास्त्रों में इसे ही आलस्य कहा गया है।
एक आदमी बाबा के पास जाता है। आदमी: बाबा कभी-कभी रात को अचानक नींद खुल गई तो देखता हूँ कि बीवी का चेहरा नूर से चमक रहा है। रौशनी इतनी होती है कि चादर के उपर से किरणें दिखती हैं। ये कैसा नूर है बाबाजी। बाबा: अबे अपने मोबाइल पर पासवर्ड डालके रख, फोन चेक करती है वो तेरा।