क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हाँ SHARE FacebookTwitter क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हाँरंग लावेगी हमारी फ़ाक़ा-मस्ती एक दिनMore SHARE FacebookTwitter Tagsमस्ती शायरी इन हिंदी