पहली मोहब्बत थी मेरी हम ये जान न सके SHARE FacebookTwitter पहली मोहब्बत थी मेरी हम ये जान न सकेप्यार क्या होता है वो पहचान न सकेहमने उन्हें दिल में बसाया है इस कदर किजब भी चाहा दिल से हम उसे निकाल न सके SHARE FacebookTwitter
इत्तेफ़ाक़ से ही सही मगर मुलाकात हो गयी; ढूंढ रहे थे हम जिन्हें उन से बात हो गयी;.......Read Full Shayari