जिन्दगी गुजर जाती है एक मकान बनाने में। और कुदरत उफ़ तक नहीं करती बस्तियाँ गिराने में। ना उजाड़ SHARE FacebookTwitter जिन्दगी गुजर जाती हएक मकान बनाने मेंऔकुदरत उफ़ तक नहीं करती बस्तियाँ गिराने मेंना उजाड़ ए - खुदा किसी के आशियाने कोवक़्त बहुत लगता है, एक छोटा सा घर बनाने को! SHARE FacebookTwitter Tagsमेरी जिन्दगी शायरी
Zamane guzar gaye hatho ko milaye huye, muddat ho gayi nazron ko milaye huye, di.......Read Full Shayari