कहीं बेहतर है तेरी अमीरी से मुफलिसी मेरी

SHARE

कहीं बेहतर है तेरी अमीरी से मुफलिसी मेरी
​चंद सिक्कों के लिए तुने क्या नहीं खोया है;
माना नहीं है मखमल का बिछोना मेरे पास
पर तु ये बता, कितनी राते चैन से सोया है

This is a great अमीरी गरीबी शायरी. If you like तेरी आँखे शायरी then you will love this. Many people like it for तेरी खामोशी शायरी.

SHARE