हाथ का मज़हब नहीं देखते परिंदे ! जो भी दाना दे SHARE FacebookTwitter हाथ का मज़हब नहीं देखते परिंदे जो भी दाना दे ,ख़ुशी से खा लेते हैं …! SHARE FacebookTwitter Tagsहाथ की लकीरें शायरी