इश़्क तो मर्ज़ ही बुढ़ापे का है SHARE FacebookTwitter इश़्क तो मर्ज़ ही बुढ़ापे का हैजवानी में, फ़ुर्सत ही कहाँ आवारगी सेMore SHARE FacebookTwitter Tagsफुर्सत शायरी