हम भी बरगद के दरख़्तों की तरह हैं SHARE FacebookTwitter हम भी बरगद के दरख़्तों की तरह हैंजहाँ दिल लग जाए वहाँ ताउम्र खड़े रहते हैं SHARE FacebookTwitter Tagsदरख़्त पर शायरी