तुम को हज़ार शर्म सही मुझ को लाख ज़ब्त

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तुम को हज़ार शर्म सही मुझ को लाख ज़ब्त
उल्फ़त वो राज़ है कि छुपाया न जाएगा

This is a great शर्म पर शायरी.

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