ये कहाँ मुमकिन है कि हर लफ़्ज़ बयाँ हो

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ये कहाँ मुमकिन है कि हर लफ़्ज़ बयाँ हो
कुछ परदे हो दरमियाँ ये भी तो लाज़मी है

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