मैंने अपनी हर एक सांस तुम्हारी गुलाम कर रखी है

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मैंने अपनी हर एक सांस तुम्हारी गुलाम कर रखी है
लोगों में ये ज़िन्दगी बदनाम कर रखी है
अब ये आइना भी क्या काम का मेरे
मैंने तो अपनी परछाई भी तुम्हारे नाम कर रखी है

This is a great अपनी पहचान शायरी. If you like तुम्हारी खूबसूरती शायरी then you will love this. Many people like it for गुलाम अली की शायरी.

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