चली जाती है आये दिन वो बियुटी पार्लोर में यूंउनका मकसद है, "मिशाल-ए-हूर" हो जानामगर ये बात किसी भी बेगम की समझ में क्यों नहीं आतीकि मुमकिन नहीं 'किशमिश' का फिर से 'अंगूर' हो जाना
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