गर्मिये हसरत-ए-नाकाम से जल जाते हैंहम चिरागों की तरह शाम से जल जाते हैंशमा जलती है जिस आग में नुमाइश के लिएहम उसी आग में गुमनाम से जल जाते हैंजब भी आता है तेरा नाम मेरे नाम के साथजाने क्यों लोग मेरे नाम से जल जाते हैं
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