मुझमें और तवायफ में फर्के फक्त है इत्ता

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मुझमें और तवायफ में फर्के फक्त है इत्ता
वो शब निकले, मैं सुब से निकलूँ साज़ो श्रृंगार में

This is a great फक्त मराठी शायरी.

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