दिल वो नगर नहीं है कि फिर आबाद हो सके SHARE FacebookTwitter दिल वो नगर नहीं है कि फिर आबाद हो सकेपछताओगे सुनो हो ये बस्ती उजाड़ करMore SHARE FacebookTwitter Tagsपछताना शायरी