ज़रा सी देर को आये ख्वाब आँखों मेंफिर उसके बाद मुसलसल अज़ाब आँखों मेंवो जिस के नाम की निस्बत से रौशनी था वजूदखटक रहा है वही आफताब आँखों में!
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