न मेरी कोई मंज़िल है न किनारा

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न मेरी कोई मंज़िल है न किनारा
तन्हाई मेरी महफ़िल और यादें मेरा सहारा
तुम से बिछड़ कि कुछ यूँ वक़्त गुज़ारा
कभी ज़िंदगी को तरसे तो कभी मौत को पुकारा

This is a great मेरी खामोशी शायरी. If you like मेरी जिंदगी शायरी then you will love this. Many people like it for मेरी जिन्दगी शायरी.

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