कभी हो मुखातिब तो कहूँ क्या मर्ज़ है मेरा

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कभी हो मुखातिब तो कहूँ क्या मर्ज़ है मेरा
अब तुम दूर से पूछोगे तो ख़ैरियत ही कहेंगे

This is a great मेरा बचपन शायरी. If you like मेरा नसीब शायरी then you will love this. Many people like it for क्या कहु शायरी. Share it to spread the love.

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