बस इतने में ही कश्ती डुबा दी हमने SHARE FacebookTwitter बस इतने में ही कश्ती डुबा दी हमनेजहाँ पहुंचना था वो किनारा ना रहागिर पड़ते है लडखडा के कदमों सेजो थामा करता था वो आज सहारा ना रहाMoreThis is a great शायरी कश्ती पर. SHARE FacebookTwitter Tagsशायरी कश्ती पर