दिल तो चाहा पर शिकस्त-ए-दिल ने मोहलत ही न दी SHARE FacebookTwitter दिल तो चाहा पर शिकस्त-ए-दिल ने मोहलत ही न दीकुछ गिले-शिकवे भी कर लेते मुनाजतों के बादMoreThis is a great गिले शिकवे शायरी. If you like शिकस्त शायरी then you will love this. SHARE FacebookTwitter Tagsगिले शिकवे शायरी, शिकस्त शायरी