जो बात मुनासिब है वो हासिल नहीं करते

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जो बात मुनासिब है वो हासिल नहीं करते
जो अपनी गिरह में हैं वो खो भी रहे हैं
बे-इल्म भी हम लोग हैं ग़फ़लत भी है तेरी
अफ़सोस के अंधे भी हैं और सो भी रहे हैं

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