बुझते हुए अरमानों का इतना ही फ़साना है

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बुझते हुए अरमानों का इतना ही फ़साना है
इश्क़ में तेरे हर पल हम को रहना है
चाहे सितमगर कितने भी ज़ख़्म दे हमें
इश्क़ में हर ज़ख्म हमें हँसते हुए सहना है

This is a great इतना प्यार शायरी.

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