भरे बाज़ार से अक्सर मैं ख़ाली हाथ आता हूँ SHARE FacebookTwitter भरे बाज़ार से अक्सर मैं ख़ाली हाथ आता हूँकभी ख्वाहिश नहीं होती कभी पैसे नहीं होतेMoreThis is a great अक्सर शायरी. SHARE FacebookTwitter Tagsअक्सर शायरी