डूबी हैं मेरी उँगलियाँ खुद अपने लहू में SHARE FacebookTwitter डूबी हैं मेरी उँगलियाँ खुद अपने लहू मेंये काँच के टुकड़ों को उठाने के सज़ा हैMoreThis is a great अपने पराये शायरी. If you like मेरी खामोशी शायरी then you will love this. Many people like it for मेरी जिंदगी शायरी. SHARE FacebookTwitter Tagsसज़ा शायरी