मिट जाएगी मख्लूक़ तो इंसाफ करोगे

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मिट जाएगी मख्लूक़ तो इंसाफ करोगे
मुनासिब हो अगर तो हशर उठा क्यों नहीं देते

This is a great इंसाफ शायरी.

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