कभी खुली हवा मे घुमते थे

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कभी खुली हवा मे घुमते थे
अब "ए. सी." की आदत लगायी है
धुप हम्से सहन नही होती
हर कोई देता यही दुहाई है

This is a great खुली किताब शायरी.

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