उन गलियों से जब गुज़रे तो मंज़र अजीब था

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उन गलियों से जब गुज़रे तो मंज़र अजीब था
दर्द था मगर वो दिल के करीब था
जिसे हम ढूँढ़ते थे अपनी हाथों की लकीरों में
वो किसी दूसरे की किस्मत किसी और का नसीब था

This is a great अजीब दुनिया शायरी.

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