मुझ को शिकस्त-ए-दिल का मज़ा याद आ गया SHARE FacebookTwitter मुझ को शिकस्त-ए-दिल का मज़ा याद आ गयातुम क्यों उदास हो गए तुम्हें क्या याद आ गयाकहने को ज़िन्दगी थी बहुत मुख़्तसर मगरकुछ यूँ बसर हुई कि ख़ुदा याद आ गयाMore SHARE FacebookTwitter Tagsउदास शायरी Fb