हो कर मायूस न यूँ शाम से ढलते रहिये SHARE FacebookTwitter हो कर मायूस न यूँ शाम से ढलते रहिये; ज़िन्दगी भोर है सूरज से निकलते रहिये; एक ही पाँव पर ठहरोगे तो थक जाओगे; धीरे-धीरे ही सही राह पर चलते रहिये।More SHARE FacebookTwitter
हर एक महान सपने की शुरुआत एक स्वप्नद्रष्टा से होती है। हमेशा याद रखिये, आपके अन्दर व.......Read Full Message