ज़िन्दगी का सफ़र कुछ अजीब सा लगा जो अपना मिला वो कुछ करीब सा लगा हमने तो

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ज़िन्दगी का सफ़र कुछ अजीब सा लगा जो अपना मिला वो कुछ करीब सा लगा हमने तो अपनी खुशियाँ सबपे लुटा दीं और दुसरों से उम्मीद की तो वो गरीब सा लगा।

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