रहना तो चाहते थे साथ उनके

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रहना तो चाहते थे साथ उनके;
पर इस ज़माने ने रहने ना दिया;
कभी वक़्त की ख़ामोशी में खामोश रहे;
तो कभी उनकी खामोशी ने कुछ कहने ना दिया।
सुप्रभात!

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