पता नहीं कौन सा मौसम चल रहा है। रात को कम्बल लेकर पंखा चलाकर सोता

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पता नहीं कौन सा मौसम चल रहा है। रात को कम्बल लेकर पंखा चलाकर सोता हूँ और सुबह गर्म पानी से नहाना पड़ता है।
कौनो फिरकी ले रहा है भाई।

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