दौर काग़ज़ी था मगर देर तक खतों में ज़ज़्बात मेहफ़ूज़ रहते थे SHARE FacebookTwitter दौर काग़ज़ी था मगर देर तक खतों में ज़ज़्बात मेहफ़ूज़ रहते थे; आज उम्र भर की यादें भी एक ऊँगली से डिलीट हो जाती हैं! SHARE FacebookTwitter