अत्यधिक परिचय से अवज्ञा उत्पन्न होती है और किसी के पास लगातार जाने से निरादर

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अत्यधिक परिचय से अवज्ञा उत्पन्न होती है और किसी के पास लगातार जाने से निरादर होता है। -शार्गधर

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