"शिक्षक दिवस "

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"शिक्षक दिवस "....... आंख बंद और याद किया अपने शिक्षकों को , जो याद में उन्हें भी जिनकी सुध गयी बिसराई प्रथम शिक्षिका माँ को नमन जो बैठी नीलगगन फिर नमन उनको किया जिन्होंने कलम सिखाई जीवन पथ का बन प्रदर्शक जगत की राह दिखाई ज्ञान लुटाया हमपर अपना ,हमारी न हो जगहंसाई दीप जलाकर छोड़ दिया राह पर मिले उजियारी छाई कदम लडखडाते उससे पहले मन की बाती जलाई गुरु को ढूँढू कैसे खुद मैं इतनी अक्ल नहीं है आई मेरे गुरु वो मुझको ढूंढें ..शिष्य बने सर नाई . नमन कोटिश:सभी सभी गुरु को जिन्होंने सीख सिखाई....

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