मुझे नहीं चाहिये सोना-चांदी , न चाहिये
हीरे-मोती ,
मैं इन सब चीजों से कहां सुःख पाऊंगी
देखूंगी जब माँ-पापा को
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पीहर में खुश
तो ससुराल में चैन से मैं भी जी पाऊंगी
अनमोल हैं ये रिश्ते , इन्हें यूं ही न
गंवा देना तुम ,
रखोगे ख्याल माँ-पापा का , बस
यही वचन देना तुम ,