महज धागा न समझो

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महज धागा न समझो,बहन का प्यार है, रक्षा करने भाई का, खामोश इजहार है, बाँध के राखी भाई को,बहन खुशहाल है, तरक्की के आशीर्वाद,भाई का उपहार है, कलाई पे बांधना राखी,भाई का गुमान है, दिया तौफा भाई का बहन को स्विकार है, रिश्ता है,स्वाद भी खट्टा कभी मीठा होगा, रक्षाबंधन भाई बहन के प्यार का तौहार है, चली जाए बहन गर, सात समंदर पार भी, यह पावन पर्व बहन को याद रहेता हरबार है !! नीशीत जोशी

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